नवरात्रि
पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस जो अमर होने के लिए ब्रह्माजी की कठोर तपस्या की। फिर ब्रह्मा जी ने प्रसन्न हो कर उसे वर मांगने को कहा तब महिषासुर ने अमर होने का वरदान मांगा । उसके बाद ब्रह्मा जी ने कहा की अमर होने के अलावा कोई और वरदान मांगों, क्यों की जो जन्म लिया है उसे मारना जरूर पड़ेगा । ऐसा सुन कर महिषासुर ने कहा की प्रभु, फिर मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता या असुर के हाथों हो और ना ही किसी मानव के हाथों।’ तब ब्रह्म जी ने तथास्तु कहा और चले गए । वरदान पाने के बाद महिषासुर ने अपने असुर राक्षस से मिलकर देव लोक मे हाम्रा कर दिया । तब सभी देव घबरा कर भगवान शिव व विष्णु के पास गए और तब भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की। उन सभी के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने एक बेहद खूबसूरत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। और देवी दुर्गा का अवतार हुआ । फिर महिषासुर और माँ दुर्गा के बीच युद्ध हुआ और महिषासुर का आंत हो गया ।
देवियों के नाम
नवरात्रि मे नौ दिन मे इन देवी की पूजा की जाती है जो क्रमशः इस प्रकार है
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चन्द्रघंटा
- कूष्माण्डा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
नवरात्रि कैसे बनाते है
मा दुर्गा की पूजा साचे मन से करते है उनकी पूजा मे कोई कमी नहीं होती है । भक्ति से जो हो माँ दुर्गा उसे स्वीकार करतीं है । नवरात्रि मे मा दुर्गा की भक्ति के लिए नौ दिन व्रत रहना होता है इन नौ दिनों मे सिर्फ फलाहार ही किया जाता है । भक्त को नवरात्रि मे अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए । यदि कोई भक्त सच्चे मन से मा दुर्गा की आराधना करता है तो उस पर मा दुर्गा प्रसन्न रहती है ।